अंतरिक्ष भोजन: कैसे बनता है एस्ट्रोनॉट मील?
अंतरिक्ष में जाने वाले यात्री भी हम जैसे आम लोगों की तरह स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन के हकदार हैं, बस फर्क ये है कि उनका खाना बनाने का तरीका थोड़ा अलग होता है। अब सोचिए, अगर हमें हमारी पसंदीदा दाल-रोटी या बिरयानी खानी हो तो क्या होगा? तो वहीं अंतरिक्ष में खाने की बात बिल्कुल अलग है। ज़ीरो ग्रैविटी, सीमित संसाधन, और सबसे बड़ी चुनौती लंबे समय तक खाने को ताज़ा रखना। ऐसे में, अंतरिक्ष के खाने का मसला बिल्कुल अलग ही लेवल का होता है। हमारे पास घर पर हर वक्त ताजे फल, सब्ज़ियां, और खिले-खिले मसाले होते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में ये सब रखना तो मुमकिन ही नहीं है। यही वजह है कि वैज्ञानिकों ने कुछ खास तकनीकों से एस्ट्रोनॉट फूड तैयार किया है, ताकि एक तो वो हल्का-फुल्का हो, दूसरी बात, खाने के सारे जरूरी पोषक तत्व भी उसमें मौजूद रहें। अब सवाल ये है कि ऐसा खाना तैयार कैसे किया जाता है? दरअसल, वैज्ञानिक सबसे पहले खाना डीहाइड्रेट करते हैं, यानी उसका पानी निकाल देते हैं ताकि खाने की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहे। जैसे हमारे घर में हम सूखी सब्जियां या दाल सुखाते हैं, बस वही प्रक्रिया अंतरिक्ष में भी होती है, बस फर्क ये है कि ये सब बहुत खास तरीके से किया जाता है। इसके बाद जब एस्ट्रोनॉट्स को खाना चाहिए, तो वो पानी डालकर उसे फिर से तैयार कर सकते हैं। एक और दिलचस्प बात ये है कि ये खाना स्वाद से भी भरपूर होता है। सोचिए, एस्ट्रोनॉट्स के लिए खाना सिर्फ एक जरुरत नहीं, बल्कि उनके मनोबल को बनाए रखने का एक तरीका भी है। अगर उनका खाना टेस्टलेस या बोरिंग हो, तो वो कितना भी मिशन पर ध्यान दें, लेकिन उनकी मूड स्विंग्स तय हैं। इसी वजह से वैज्ञानिक खाने में स्वाद और ताजगी का ध्यान रखते हैं। इसलिए, अंतरिक्ष का खाना जितना टेढ़ा और चैलेंजिंग होता है, उतना ही जरूरी भी है। यह सिर्फ पेट भरने का तरीका नहीं, बल्कि एस्ट्रोनॉट्स की सेहत, उनके मानसिक संतुलन और मिशन की सफलता में भी अहम रोल निभाता है। तो अगली बार जब आप अपना पसंदीदा खाना खाएं, तो थोड़ा याद करिए उन एस्ट्रोनॉट्स को, जो अंतरिक्ष में यही सब कुछ बिना किसी मसाले या ताजगी के खा रहे होते हैं।
1. फ्रीज़-ड्राई तकनीक से बनता है स्पेस फूड
अंतरिक्ष में भोजन तैयार करने की सबसे आम और कारगर तकनीक है फ्रीज़-ड्राइंग (freeze-drying)। अब इसे थोड़ा आसान तरीके से समझते हैं। जब खाना तैयार होता है, तो उसका लगभग 98% पानी निकाल लिया जाता है, जिससे वह हल्का हो जाता है और लंबी अवधि तक खराब नहीं होता। सोचिए, जैसे हम अगर किसी फल या सब्ज़ी को सुखा लेते हैं, तो उसे भी कुछ वक्त तक खा सकते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में ये प्रक्रिया थोड़ी और एडवांस तरीके से की जाती है। इसमें खास बात ये है कि खाना बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के, यानी बिना किसी हानिकारक पदार्थ के, उसके पोषण तत्वों को बचाकर सुरक्षित किया जाता है। यानि जितना खाना पोषक होता है, उतना ही वह सुरक्षित भी रहता है। खाना बहुत कम तापमान पर रखा जाता है, फिर उसे वैक्यूम में सुखाया जाता है ताकि पानी का वाष्पीकरण हो जाए। अब आपको समझ में आ गया होगा कि यह प्रोसेस कितनी ज़रूरी है। इससे तैयार किया गया खाना इतना टिकाऊ होता है कि वह कई साल तक खराब नहीं होता। एस्ट्रोनॉट्स को जब भूख लगती है, तो बस उस फ्रीज़-ड्राई खाने में पानी मिलाते हैं, और वह तुरंत ताजा जैसा बन जाता है। और आपको जानकर अच्छा लगेगा कि इसमें पोषण की कोई कमी नहीं आती। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स, और मिनरल्स सभी सही संतुलन में रहते हैं, जो अंतरिक्ष में रहने वाले यात्री के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं। ये तकनीक सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के कुछ और हिस्सों में भी इस्तेमाल होती है। जैसे पहाड़ों में, आर्कटिक क्षेत्रों में, या फिर आपातकालीन खाद्य आपूर्ति के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता है। मतलब, जहां ताजे खाने की कमी हो, वहां फ्रीज़-ड्राई फूड एक बहुत अच्छा विकल्प साबित होता है। तो, इस तकनीक की वजह से ही एस्ट्रोनॉट्स को उनका खाना ताजे जैसा मिल पाता है, और साथ ही उनका शरीर सही तरीके से काम करता है, बिना किसी दिक्कत के। अब सोचिए, अंतरिक्ष का खाना तो ऐसा ही होता है, अगर इस तकनीक को न अपनाया जाता, तो शायद खाना भी कुछ समय बाद हमें तो क्या, खुद एस्ट्रोनॉट्स को भी खा पाना मुश्किल हो जाता!
2. स्पेस फूड में न्यूट्रिएंट्स बैलेंस बनाए रखना ज़रूरी
अंतरिक्ष में रहते हुए शरीर पर बहुत सारे प्रभाव पड़ते हैं, और इसलिए यह जरूरी होता है कि अंतरिक्ष का भोजन इस तरह से तैयार किया जाए कि वह शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्वों को सही मात्रा में दे सके। अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एस्ट्रोनॉट्स के शरीर में कई बदलाव होते हैं, जैसे हड्डियों का कमजोर होना और मांसपेशियों की ताकत में कमी। अब जब हम ज़ीरो ग्रैविटी में होते हैं, तो पाचन क्रिया भी थोड़ी बदल जाती है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण का असर शरीर पर नहीं पड़ता। यही कारण है कि अंतरिक्ष भोजन को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वह पाचन को भी मदद करे और शरीर को उसकी जरूरत की ऊर्जा मिले। वैज्ञानिक इस बात का ध्यान रखते हैं कि एस्ट्रोनॉट्स को मिलने वाले भोजन में सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स का सही संतुलन हो, ताकि उनका शरीर ठीक से काम करे और वह लंबी अंतरिक्ष यात्रा में भी सक्रिय रहें। जैसे हमारे शरीर को प्रोटीन की जरूरत होती है ताकी मांसपेशियां मजबूत रहें, वैसे ही एस्ट्रोनॉट्स के शरीर को भी अच्छे प्रोटीन की जरूरत होती है ताकि वह अपनी मांसपेशियों और हड्डियों को स्वस्थ रख सकें। इसके अलावा, वैज्ञानिक यह सुनिश्चित करते हैं कि भोजन में वो तत्व हों जो पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करें। जैसे, विटामिन C जो न सिर्फ रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि शरीर की ताजगी और ऊर्जा को बनाए रखने में भी सहायक होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जो दिमाग और दिल के लिए बहुत अच्छे होते हैं, और कैल्शियम जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। अब सोचिए, इन सारी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए, एस्ट्रोनॉट्स का भोजन इतना सही तरीके से तैयार किया जाता है कि उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों बनी रहे। जैसे आप अपने शरीर का ख्याल रखते हुए अच्छे खाने का चुनाव करते हैं, वैसे ही अंतरिक्ष में भी एस्ट्रोनॉट्स को अपना ख्याल रखना पड़ता है, बस फर्क ये है कि उनके पास खाना पकाने का कोई चूल्हा या ओवन नहीं होता! इसलिए यह अंतरिक्ष भोजन सिर्फ पेट भरने का तरीका नहीं है, बल्कि एस्ट्रोनॉट्स की सेहत और मिशन की सफलता के लिए एक बहुत ही सोच-समझकर तैयार किया गया हिस्सा है। बिना इन पोषक तत्वों के, अंतरिक्ष यात्रा बहुत कठिन हो सकती थी, और शायद एस्ट्रोनॉट्स का शरीर उन मुश्किलों को सहने के लिए तैयार नहीं होता।
3. जीरो-ग्रैविटी में लिक्विड फूड कैसे काम करता है?
अंतरिक्ष में लिक्विड फूड, जैसे जूस या सूप, आम तौर पर सीलबंद पैकेट्स में होते हैं और इन्हें स्ट्रॉ के जरिए पिया जाता है। अब ज़रा सोचिए, जीरो-ग्रैविटी में पानी या कोई भी तरल पदार्थ तो इधर-उधर तैर सकता है, जिससे उसे पीना या नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इससे न सिर्फ खा-पीने में दिक्कत होती है, बल्कि यह अंतरिक्ष के महंगे और संवेदनशील उपकरणों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। तो यही वजह है कि इन लिक्विड फूड्स को बहुत खास पैकेजिंग में पैक किया जाता है, ताकि वे बिल्कुल लीक न हों और कंट्रोल में रहें। ये पैकेट्स बहुत मजबूत होते हैं और अंदर का तरल पदार्थ बाहर न निकले, इसके लिए इनकी डिजाइन में खास ध्यान दिया जाता है। एस्ट्रोनॉट्स इन पैकेट्स से खाना या ड्रिंक निकालने के लिए पैकेट पर लगे स्ट्रॉ का इस्तेमाल करते हैं, ताकि तरल पदार्थ आसानी से पिया जा सके और कोई समस्या न हो। इन पैकेट्स में एक और खास बात होती है उनका वेंटिलेशन सिस्टम। यह सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि जब एस्ट्रोनॉट्स स्ट्रॉ के जरिए पीने की कोशिश करें, तो तरल पदार्थ पैकेट के अंदर ही रहे और बाहर न फैल जाए। जी हां, ये उतना आसान नहीं होता जितना हम सोचते हैं!अब, जीरो-ग्रैविटी में पेय पदार्थों का सेवन थोड़ी सावधानी से करना पड़ता है, क्योंकि उनकी ताजगी और सुरक्षित बनाए रखना एक बड़ा चैलेंज है। मतलब, अगर किसी ने गलती से पैकेट को खोल दिया या स्ट्रॉ ठीक से इस्तेमाल नहीं किया, तो पानी इधर-उधर फैल सकता है और इससे पूरे माहौल में गड़बड़ी हो सकती है। इसीलिए, एस्ट्रोनॉट्स को इन तरल पदार्थों को पीने में बहुत ध्यान रखना पड़ता है, ताकि उनका भोजन सही तरीके से हो सके और किसी भी तरह की खराबी न हो। तो, अंतरिक्ष में बैठकर जूस पीने का मजा शायद उतना आसान नहीं है, जितना हम सोचते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से इंजीनियरिंग और सावधानी का खेल होता है, जो अंतरिक्ष यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाता है।
4. पैकेजिंग का खास तरीका
अंतरिक्ष में भोजन को पाउच, ट्यूब, और वैक्यूम-सीलबंद पैकेज में रखा जाता है, ताकि वो कम जगह में समा सके और खराब न हो। आप सोचिए, अंतरिक्ष में हर चीज़ का सही तरीके से रखा जाना कितना ज़रूरी है, क्योंकि वहां हर चीज़ को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती बन जाती है। जब आप किसी टुकड़े को इधर-उधर गिरा नहीं सकते, तो इसका मतलब है कि पैकेजिंग को इस तरह से डिज़ाइन किया जाए कि न केवल वह सुरक्षित रहे, बल्कि उसे आसानी से इस्तेमाल भी किया जा सके। एस्ट्रोनॉट्स के लिए ये पैकेजिंग खासतौर पर माइक्रोवेव-फ्रेंडली होती है, ताकि जब उन्हें खाना गरम करना हो, तो वह आसानी से गरम हो जाए और उसकी गुणवत्ता बनी रहे। यानि, जैसे हम घर में गैस पर तवा गरम करते हैं, वैसे ही अंतरिक्ष में माइक्रोवेव का इस्तेमाल किया जाता है ताकि उनका खाना ताजे जैसा महसूस हो। इतना ही नहीं, इन पैकेजेस को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि अंतरिक्ष यान के अंदर वो सुरक्षित रूप से रखे जा सकें, और एस्ट्रोनॉट्स को खाना खाते वक्त कोई दिक्कत न हो। सोचिए, यह कितनी बड़ी बात है! हर पैकेट इतना सटीक और स्मार्ट तरीके से पैक किया जाता है, ताकि उसे खोलने में कोई परेशानी न हो और यान के अंदर कोई कचरा भी न फैले। अब, जब एस्ट्रोनॉट्स अपने खाने का पैकेट खोलते हैं, तो इस पैकेजिंग का डिज़ाइन इस तरह से होता है कि वह खाने में से कोई भी छोटा टुकड़ा बाहर न निकले। ये पैकेट्स पूरी तरह से बंद होते हैं, ताकि वे अंतरिक्ष में तैरते हुए भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े न फैलाएं, जो बाद में किसी बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं। सच में, अंतरिक्ष यात्रा में खाना सिर्फ खाना नहीं है यह एक पूरा ऑपरेशन है। इन पैकेजेस और डिज़ाइन का मतलब सिर्फ खाने की सुविधा नहीं, बल्कि पूरे मिशन की सुरक्षा और सफाई भी है। बिना इन स्मार्ट पैकेजिंग के, एस्ट्रोनॉट्स के लिए खाना खाना और भी मुश्किल हो जाता।
5. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पसंदीदा फूड ऑप्शन
अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स के पास कई तरह के फूड ऑप्शंस होते हैं, जो न केवल उनके स्वाद की पसंद को ध्यान में रखते हैं, बल्कि उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को भी पूरा करते हैं। सोचिए, अंतरिक्ष में किसी तरह का बोरिंग खाना नहीं चलता, इसलिए वैज्ञानिकों ने ऐसे स्वादिष्ट और पौष्टिक विकल्प तैयार किए हैं, जो एस्ट्रोनॉट्स को न सिर्फ ताकत देते हैं, बल्कि उनके मनोबल को भी बनाए रखते हैं। तो सबसे पहले बात करते हैं फ्रीज़-ड्राई फल जैसे सेब और केला। ये फल हल्के होते हैं, मतलब इन्हें पैक करने में जगह भी कम लगती है, और सबसे बड़ी बात ये लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं। एस्ट्रोनॉट्स को जब भूख लगे, तो ये फल पानी डालते ही ताजे जैसे हो जाते हैं, और तुरंत खाए जा सकते हैं। फिर है मैकरोनी और चीज़, जो एक सुपर पॉपुलर और पौष्टिक डिश है। ये खाने में स्वादिष्ट तो है ही, साथ ही इसे बनाना भी बहुत आसान होता है। आप सोचिए, लंबे अंतरिक्ष मिशन के दौरान, जब एस्ट्रोनॉट्स को किसी हलके और ज़्यादा समय तक चलने वाले खाने की जरूरत होती है, तो यह एक बेहतरीन विकल्प बन जाता है। अब, टॉर्टिला रोल्स का इस्तेमाल क्यों होता है? क्योंकि अंतरिक्ष में ब्रेड क्रम्ब्स हवा में तैर सकते हैं और हर जगह फैल सकते हैं, जिससे साफ-सफाई मुश्किल हो जाती है। लेकिन टॉर्टिला रोल्स में ये समस्या नहीं होती, और एस्ट्रोनॉट्स आराम से इन्हें खा सकते हैं बिना किसी कचरे के। फिर आता है स्पेशल स्पाइसी सॉस। अब, ज़ीरो-ग्रैविटी में स्वाद को महसूस करना थोड़ा मुश्किल होता है, इसलिए एस्ट्रोनॉट्स को कुछ तीखा या मसालेदार चाहिए होता है ताकि उनका खाना और भी मजेदार बने। यही कारण है कि उन्हें ऐसे मसालेदार सॉस दिए जाते हैं, जो उनके स्वाद की जरूरत को पूरा करते हैं। इसके बाद, एस्ट्रोनॉट्स के लिए पनीर और चॉकलेट भी जरूरी होते हैं। चाहे कितनी भी लंबी यात्रा हो, एक अच्छा पनीर या चॉकलेट का टुकड़ा मूड को फ्रेश कर सकता है। यह उन खाद्य पदार्थों में से हैं, जो एस्ट्रोनॉट्स अपनी पसंद के रूप में खाते हैं और उन्हें खाने में आराम मिलता है। इन सभी फूड ऑप्शंस में एक चीज़ कॉमन है स्वाद और पोषण का सही संतुलन। एस्ट्रोनॉट्स का शरीर मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे, इसके लिए वैज्ञानिक इन चीज़ों का सही मिश्रण सुनिश्चित करते हैं। अंतरिक्ष में रहते हुए, यह जरूरी है कि उनके शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलें, ताकि वे अपने मिशन को सही तरीके से पूरा कर सकें।समझिए कि अंतरिक्ष में भी स्वाद और पोषण का ध्यान रखना कितना ज़रूरी है। एस्ट्रोनॉट्स के पास जो फूड ऑप्शंस होते हैं, वो न सिर्फ उनके शरीर को ऊर्जा देते हैं, बल्कि उनके मानसिक संतुलन को भी बनाए रखते हैं। आखिरकार, लंबी अंतरिक्ष यात्रा में स्वस्थ और खुश रहना उतना ही ज़रूरी है जितना की मिशन को सफल बनाना।
6. स्पेस मिशन में ताजा भोजन की चुनौतियां
लंबे अंतरिक्ष मिशन में ताज़ा खाना ले जाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि बहुत जल्दी खराब हो सकता है और स्पेस में इसकी आपूर्ति भी करना एक बड़ी चुनौती है। तो इस समस्या का हल ढूंढने के लिए वैज्ञानिक और अंतरिक्ष एजेंसियां कुछ बहुत ही दिलचस्प तरीके अपना रही हैं। सोचिए, अगर अंतरिक्ष में ही ताजे फल, सब्जियां, और हर्ब्स उगाए जा सकें, तो कितनी बढ़िया बात होगी! इसलिए, नासा और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियां इस समय हाइड्रोपोनिक्स और एयरोपोनिक्स जैसी तकनीकों पर काम कर रही हैं। अब इन शब्दों का मतलब क्या है? हाइड्रोपोनिक्स में पौधों को मिट्टी के बिना पानी में उगाया जाता है। यानी पौधों को पानी में उनके पोषक तत्व मिलते हैं, और मिट्टी की कोई जरूरत नहीं होती। दूसरी ओर, एयरोपोनिक्स एक और लेवल की तकनीक है, जिसमें पौधों की जड़ों को हवा में उगाया जाता है। हां, आप सही सुन रहे हैं, पौधों की जड़ें हवा में लटकती हैं, और उन्हें पोषक तत्वों के साथ हवा में उगने दिया जाता है! अब आप सोचेंगे, ये सब कैसे काम करेगा अंतरिक्ष में? तो इन तकनीकों के जरिए अंतरिक्ष में एक तरह से ग्रीनहाउस फार्मिंग की व्यवस्था बनाई जा सकती है। इसका मतलब ये है कि अंतरिक्ष यान या स्पेस स्टेशन के अंदर भी एक छोटा सा बाग-बगिचा होगा, जहां ताजे फल, सब्जियां, और हर्ब्स उगाए जा सकेंगे। इससे एस्ट्रोनॉट्स को ताजे और पौष्टिक भोजन मिल सकेगा, जो उनकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। और सबसे मजेदार बात ये है कि इससे न सिर्फ उनका शरीर स्वस्थ रहेगा, बल्कि अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उनका मन भी खुश रहेगा। क्योंकि खाना सिर्फ शरीर को ही नहीं, मन को भी ताजगी और ऊर्जा देता है। तो यह जो हाइड्रोपोनिक्स और एयरोपोनिक्स जैसी तकनीकें हैं, वे एस्ट्रोनॉट्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकती हैं। यही तकनीकें शायद भविष्य में हमें अंतरिक्ष में अपने खुद के बगीचे के सपना सच करने का मौका दें। मतलब, अब हम सोच सकते हैं कि आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्रियों को ताजे सलाद, हर्ब्स या अपनी पसंदीदा सब्ज़ियां खाने का मौका मिल सकता है। कितनी मस्त बात है, है न?
अंतरिक्ष भोजन सिर्फ एक साधारण खाना नहीं है, बल्कि यह विज्ञान और तकनीक का बेहतरीन उदाहरण है। जब हम धरती पर बैठे होते हैं, तो हमें कभी नहीं लगता कि खाना तैयार करने में कितनी मेहनत और सोच लगती है। लेकिन जब बात अंतरिक्ष की होती है, तो एस्ट्रोनॉट्स को पोषण देना, साथ ही ज़ीरो-ग्रैविटी के माहौल में खाना खाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना एक अलग ही चुनौती होती है। सोचिए, यह इतना आसान नहीं है कि आप किसी भी डिश को उसी तरीके से स्पेस में ले जाकर खा सकें जैसा आप धरती पर खाते हैं। भोजन का हर एक हिस्सा, चाहे वह उसकी पैकेजिंग हो या उसे खाने की विधि, सब कुछ खास तरीके से तैयार किया जाता है ताकि वह अंतरिक्ष में काम कर सके। साथ ही, एस्ट्रोनॉट्स को जो पोषण चाहिए, वह भी बिना किसी कमी के मिले। और आने वाले समय में, स्पेस फूड टेक्नोलॉजी और भी उन्नत होगी। ये तकनीकें और भी बेहतर हो सकती हैं, ताकि अंतरिक्ष में ताजे फल, सब्जियां, और हर्ब्स उगाना और भी आसान हो सके। हो सकता है कि एक दिन हम भी धरती पर स्पेस-स्टाइल भोजन का आनंद लें, जैसे एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में करते हैं। सोचिए, अगर हमें कभी स्पेस-स्टाइल चाय या खाने का मौका मिले, तो क्या मज़ा आएगा! अंतरिक्ष भोजन सिर्फ खाना नहीं है, यह एक नई दिशा है, जो भविष्य में और भी दिलचस्प होने वाली है। और इस सफर में हम सभी का हिस्सा बनना बहुत रोमांचक होगा!
📢 अगर आपको स्पेस में जाने का मौका मिले तो आप कौन सा खाना लेना चाहेंगे? हमें कमेंट में बताएं!